कुछ हुनर भी ऐसा भी आना चाहिए
उनके दिल पर हक़ जमाना चाहिए!
लोग धोखे होश में ही खा रहे
बेखुदी में चोट खाना चाहिए!
जालिमों के शहर में ऐ बाबुओं
रौब अपना भी दिखाना चाहिए!
दिल जहाँ था आज तक ठहरा वहीं
बात यह उनको बताना चाहिए!
जब उजाला सामने हो आपके
तब क़दम आगे बढ़ाना चाहिए!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना
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