मैं हूँ,तुम हो और दोनों के बीच उलझन है
हम दोनो के बीच कशमश है
दोनो के उलझन अलग अलग है
ये उलझन हम दोनो की एक नहीं होने देती
क्योंकि दोनो के मन अलग अलग है
दोनों के विचार अलग अलग है
दोनों के रास्ते अलग अलग है
फिर दोनों की मंजिल कैसे एक हो
जब मंजिल एक नहीं तो
हम कैसे एक हो सकते है
इसलिए हम दोनो अलग अलग है
मैं हूँ तुम हो और उलझन है!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना
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