Monday 11 March 2019

"अधुरी ज़िन्दगी"

हमारी ज़िन्दगी ही कुछ ऐसी है
कोई ना कोई ख्वाब रहेंगे ही
कोई ना कोई ख्वाईस अधुरे रहेगी ही
एक पूरी होती तो दुजी रह जाती!
खूदा ने इन्सान को अधूरा बनाया
स्त्री के बिना पुरूष,पुरूष के बिना स्त्री
खुदा ने प्रकृति को अधुरा बनाया
प्रकृति को अधुरा बनाया
प्रकृति को मानव पर मानव को प्रकृति
खुदा ने वक्त को भी अधूरी बनाया
आधा दिन आधा रात
दिन में सूर्य और रात को चाँद!
खुदा ने जीवन को भी अधुरा बनाया
आधा सुखमय आधा दु:खमय
खुदा ने मानव के गुण को अधुरा बनाया
अच्छा और बुराई से युक्त
ईश्वर की कृति भी अधुरी है
नपुंसक लिंग,अक्षम इन्सान!
गर ज़िन्दगी में तुमको कुछ अधुरा मिलता है
तो इसे खुदा की कृति समझो
क्योंकि जब उसकी बनाई सृष्टी अधुरी है
तो हम भी अधुरे होगें!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना

No comments:

Post a Comment