Wednesday 27 March 2019

ग़ज़ल

वादिए इश्क़ मे जब भी आया करो
लौट कर जाने जां तुम न जाया करो!
ख्व़ाब में रोज़ आके सताया करो
और दिल में मुझे तुम बसाया करो!
इक क़दम प्यार का जब बढ़ाऊँ
सनम दो क़दम तुम भी आगे बढ़ाया करो!
गीत के जैसे मैं गुनगुनाती रहूँ
तुम ग़ज़ल की तरह मुझे गाया करो!
तेरी मजबूरियों की न बाइस बनूँ
नाज़ मेरे न इतना उठाया करो!
अर्चना को न तड़पाओ ऐ जाने जां
तिश्नगी मेरे दिल की बुझाया करो!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना

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