ये ज़िन्दगी अजीब सी है
माँगो कुछ तो देती कुछ है
मैं जितना हँसना चाहती हूँ
ये मुझे उतना रूलाती है
मैं हर पल खुशी चाहती हूँ
ये हर पल मुझे गम देती है!
आखिर ज़िन्दगी मुझसे चाहती क्या है?
मैं इससे कुछ ओर चाहती हूँ
ये मुझसे कुछ ओर चाहती है
ये ज़िन्दगी अजीब सी है
माँगो कुछ तो देती कुछ है
जो प्यार नहीं चाहता है
उसको ही प्यार देती है!
जो जिसे पाना चाहता है
उसको कोई ओर मिलता है
जो कुछ नहीं पाना चाहता है
उसको सब कुछ देती है
जो इन्तजार नहीं कर सकता है
उसको हमेशा इंतजार करवाती है!
उफ् ये ज़िन्दगी
मैं हमेशा सोचती हूँ
तू ऐसी क्यों है?
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
Monday, 25 March 2019
"ज़िन्दगी तू ऐसी क्यों है"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment