हाँ बेटी हूँ तो क्या हुआ
किसी बेटे से कम नहीं
मैं भी पढ़ लिखकर समाज में मान बढ़ाउँगी
बापू तेरा नाक ना कटाउँगी
किसी के साथ भागकर!
ममता का तेरे सम्मान करूँगी
माँ मैं तेरी पूजा करूँगी!
भगवान है तू धरती का
तेरे आँचल को कभी ना
शर्मसार करूँगी!
तेरे और दूसरों के घर आँगन को
सदा महकाउँगी मैं शपथ लेती हूँ आज
मैं भी एक बेटी ज़रूर पैदा करूँगी!
तेरे बेटी जनने की परम्परा को
कभी ना मरने दूँगी
चाहे मैं क्यों ना मर जाँउ!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना
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