आप पहले बिखर जाइए
आइना देख निखर जाइए!
जिससे शोहरत बढ़े आपकी
ऐसा कुछ काम कर जाइए!
जिनमें फूलों है बिखरे बहुत
राह से उस गुज़र जाइए!
शायरी है समंदर अगर
थोड़ा गहरे उतर जाइए!
मुन्तज़िर है कोई"अर्चना"
शाम होगी तो घर जाइए!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
No comments:
Post a Comment