Saturday 9 March 2019

"प्रभु के कई नाम"

माखन चुरा चुरा खाऐ
यशोदा के लाल रे!
राक्षसों का वध करे
अवतार विष्णु रे!
रंग दे चनरियाँ गुलाल से
मथुरा के लाल रे!
मेरी मट्की फोड़ दे
वृदावन के लाल रे!
लीला खेले रे
गोपी के कन्हैया रे!
रासलीला संग रचाएं रे
राधा के गोपाल रे!
राजनीति कर महाभारत करे
रूकमणी के स्वामी रे!
बाबरी प्रेम में करे
मीरा के धनश्याम रे!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना

No comments:

Post a Comment