Tuesday 5 March 2019

"दर्पण मैं तुम"

दर्पण को रोज देखती हूँ
तुम समझकर
तुम भी दर्पण को देखो
हम समझकर
दर्पण को चूम रही
तुम समझकर
तुम भी दर्पण को चूमों न
हम समझकर
इजहारे मोहब्बत पास
ना सही तो दूर से ही सही
मोहब्बत तो है
हमको आपसे
आपको हमसे!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"

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