जिन्दगी अजीब है लट्टू लट्टू का खेल है इस खेल में कभी हार तो कभी जीत होती है! कभी हमजोली संग हम लट्टू लट्टू का खेल खेला करते थे आज जिन्दगी हमें लट्टू लट्टू सा गोल गोल घुमा रही है दुनिया बैठ हमारा तमाशा देख रही जिन्दगी अजीब है लट्टू लट्टू का खेल है! समय के साथ लट्टू का खेल बदला कसीनों ने ले ली इसकी जगह अब लोग दिमाग से दिल को खेलते है भावनाओं को पैसे से तौलते है जो जितना दाव लगा सके खेल में शान उसी की बढ़ती जाती है! सच्ची मोहब्ब़त कहीं नही दिखती किसी पे हम लट्टू हो जाते वो किसी और पे लट्टू हो जाते कोई हम पे लट्टू हो जाता मियाँ मिठ्ठू खुद पे लट्टू है पीठ पर लगाते टैटू है सब के सब लट्टू है जिन्दगी अजीब है लट्टू लट्टू का खेल है! कुमारी अर्चना मौलिक रचना पूर्णियाँ,बिहार १०/५/१८
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