किसी शराबी की मधुशाला हूँ एक कप जो चाय पी ले मुझमें भूल जाएगा कि मैं मिठ्ठी जहर की प्याली हूँ मुझे पी कर कोई बेहोश नहीं होता पर ना पीये तो होश में भी नहीं रहता " कड़कती सर्दी का कम्बल हूँ तड़पती गर्मी का ऐ.सी हूँ ऐसी चाय ना कभी पी होगी अपने किसी शाम! इसलिए आज की शाम आपकी मेरे नाम मैं प्यार भरी कप की प्याला हूँ किसी शराबी की मधुशाला हूँ! कुमारी अर्चना पूर्णियाँ,बिहार ५/४/१८
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