"मैं तेरे काबिल नहीं"
मैं तेरे काबिल हूँ या नहीं एक बार आज़मा के देखा होता माना कि तू बड़ाआदमी है श्याम
पर एक बार इस गरीब के दिल के झरोखे में झांका होता तेरे जाने के बाद भी इसे खुली रखा था पर तू ना आया राधा का हालचाल पूछने तुझे भय था अगर तू आया तो वापस ना जाएगा मेरे खुली आँखियन में गिरफ्तार हो जाएगा जीवन भर मेरा साथी बनकर! पर राधा को श्याम के इंतजार में तड़फ तड़फ तरस तरस जीना था! कुमारी अर्चना जन्म स्थान-पुर्णियाँ, बिहार
मौलिक रचना ५/४/१८
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