मैं तेरे काबिल हूँ या नहीं
एक बार आजमा के देखा होता माना कि तू बड़ा आदमी है श्याम पर एक बार गरीब राधा के दिल के झरोखे में झांका तो होता! तेरे जाने के बाद भी इसे खुला रखा था पर तू ना आया राधा का हालचाल पूछने को! तुझे भय था अगर तू आया तो वापस ना जाएगा मेरे खुली आँखियन में गिरफ्तार हो जाएगा जीवन पर मेरा साथी बनकर! पर राधा को श्याम के इंतजार में तड़फ -तड़फ ,तरस- तरस जीवन जो जीना था! कुमारीअर्चना मौलिक रचना पूर्णियाँ,बिहार २३/४/१८
Thursday 26 April 2018
"मैं तेरे काबिल नहीं"
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