Saturday, 11 November 2017

"हाँ मैं प्रसिद्ध होना चाहती हूँ"

"हाँ मैं प्रसिद्ध होना चाहती हूँ"
 क्या करना होगा
 अपना चेहरा रोज रोज
 गमकऊँआ साबुन से चमकाना होगा 
फेरनलवली खूब पोतना होगा
 सात धंटे की पूरी नींद लेनी होगा
 फिर फेसबुक,इन्ट्राग्राम पर 
हॉट,सेक्सी व भड़काऊं फोटो
अपनी अपलॉड करनी होगी! 
 लाइक पे लाइक कौमेंन्ट पे कौमेन्ट से
 मेरे पोस्ट पे भरे होगें
 मेरी खुबसूरती के दिवाने 
इनबॉक्स में लाइन में खड़े होगें!
 मुझे अपने छोटे से कारनामों को
 बड़ा चढ़ा कर शोखी बघारनी होगी 
अखबार व टी.वी पर प्रचार करना होगा 
सखी सहेली को बार बार फोन करके 
अपना झूठा कच्चा चिठ्ठा बताना होगा 
लोग तारिफ के पुल पे पुल बाँधेगें
 मैं प्रसिद्धी के पुलंदे पर चढ़ जाऊंगी!
 मैं कभी हिरोइन तो कभी मॉडल 
 तो कभी अधिकारी तो कभी नेताईन 
तो कभी डॉक्टर तो कभी इजीनियर 
बनने का ख्वाब बनाऊंगी! 
 महानगर के सबसे पोश इलाके में 
प्लेट खरीदूंगी 
नोटो के बिस्तर पर सोऊंगी
 लाइम लाइट की जगमगाती दुनिया में जीऊंगी
 महँगी गाड़ीयों की लाइनें लगी होगी 
डिजायनर कपड़ों से अलमारी भरी होगी
 घर में समान से ज्यादा नौकर होगें 
हीरे जवाहरात से मैं लदी होऊंगी
 धीरे धीरे सोचते सोचते उम्र निकल जाएगी 
और मैं सिजोफ्रेनिया को मरीज हो जाऊंगी 
फिर बढ़ापे में भूलने की बिमारी हो जाएगी
 मैं प्रसिद्ध हो जाऊंगी 
मैं कौन थी? 
 कुमारी अर्चना 
कटिहार,बिहार 
मौलिक रचना
 12/11/17

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