Wednesday 22 November 2017

"जब मैं फिर से माँ तुन्हारे गर्भ में आऊँ तो


माँ मैं अब ना वापस आऊँगी
ना मैं पापा तुमको सताऊँगी
घर को वापस लौटकर जब मैं
फिर से तुम्हारे गर्भ में आउँ तो
पहले से ऑक्सीजन मागँवा लेना
जाने कब मुझे जरूरत पड़ जाए!
माँ मैं अब ना वापस आऊँगी
ना मैं पापा तुमको सताऊँगा
सुबह स्कूल जाने को तैयार होने को
तुम्हारे जटपट मेरा लिए नाश्ता बनवाने को अपने कपड़े और जूतों को
साफ व इस्त्री कराने को
छूट्टियों के दिनों में घर में
हुगदंड मचाने को
बार बार ये खाऊँगी
वो खाऊँगी कहने को
स्कूलवापसी पर मेरा बसता ढोने को
रात की प्यारी लोरी गवाने को!
माँ अब ना वापस आउँगी
ना मैं पापा तुमको सताऊँगी
ये भारत देश है जहाँ आदमी को
जनसुविधाओं के अभाव में
जीना पड़ता या मरना पड़ता है
सड़ चुका है यहाँ का सरकारी तंत्र
बेबस लाचार हो चुका ये जनतंत्र
जय हो जय भारतीय गणतंत्र!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
२२/११/१७

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