खुली है मुठ्ठी
और बंद है किस्मत
पहले और बाद भी
हाथ का साथ या
जिंदगी का साथ
कौन सा दोगो मुझे?
दोनो चाहिए था
पर ना हाथ मिला
ना ही साथ बस खाली रहा
मेरी सब कुछ
खुली ही रहेगी
मुठ्ठी बेज़ान सी!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
21/11/17
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