आ कुछ करे मिलने के लिए
चूल्हा भी धूँकर धुँकर करे
जलने के लिए!
दिल भी शुकूर शुकूर करे
धड़कने के लिए!
पक्षी भी फूर्र फूर्र करे
उड़ने के लिए!
साँसे भी हुकूर हुकूर करे
चलने के लिए!
मेरा मन भी फुसुर फुसुर करे
तुझे प्यार करने के लिए!
आ गुटर गुटर गूँ करे
दोनों मिलने के लिए!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
१८/११/१७
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