Friday 24 November 2017

"परी हूँ मैं"

परी हूँ मैं
पर आसमान से उतरी नहीं
यही घरा से निकली हूँ
अंकुर के तने सी
सोने सा चमकता बदन नहीं
मिट्टी सी कच्ची बदन हूँ!
मैं मोम का मुलायम गुड़ियाँ नहीं
जो पल में पिघल जाऊँ मैं
तपती धूँप में ईट सी पकी हूँ
लोहे सी सख्त हूँ!
मैं कोई रूपवती,गुणवती,सुन्दरी नहीं
साधारण सी आम लड़की "अर्चना"हूँ!
कुमारी अर्चना
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार
२४/११/१७

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