Friday 24 November 2017

"मैं उस पगला लड़का को ढूढ़ती हूँ"

मैं उस पगला लड़का को ढूढ़ती हूँ
जो मेरे हुस्न का दिवाना हो
रात दिन मेरा पीछे पड़ा हो
सोते जागते मेरे सपनों में खड़ा हो!
मैं उस पगला का प्यार चाहती हूँ
जिसके दिल पे सिर्फ मेरा डेरा हो
उसके धोंसले पर मेरा बसेरा हो!
मैं उस पगला लड़का का वफ़ा चाहती हूँ
जो मेरे बेवफ़ाई करने पर भी
जहान में मेरी रूसवाई न करे!
मैं उस पगला का साथ चाहती हूँ
जो मेरे मरने के बाद भी
साथ न छोड़े साया बनकर
मेरी रूह के साथ चले!
मैं उस पगला लड़का को ढूढ़ती हूँ
जिसके प्यार में मैं भी पागल हो जाऊँ
फिर हम दोनो पागल प्रेमी साथ जिये!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
२५/११/१७

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