विवाद अक्सर
लड़ाई
फसाद
गुश्सा
ईष्या
द्वेष
बदला
धंमड
प्यार
शान
शौक़त
जीत के लिए आये दिन होते रहते
कभी भाईयों में
तो कभी पिता पुत्र में
दो सौतनों में
दोस्तो में
भूमि के टूकड़े
धन दौलत
कीमती वस्तुओं
और स्त्री के लिए भी!
पर ये सिक्के एक पहलू है
दूसरा पहलू ये है कि
ब्रिटिश देश छोड़ने पर
बंटवारे का बीज बो गए
फलस्वरूप भारत के दो टूकड़े हो गए
कहीं गरीबी तो नस्लवाद छोड़ गए
तो कहीं सम्प्रदायवाद छोड़ गए!
लेखक कभी खुद की
तो कभी प्रसिद्ध व्यक्तित्व की
जीवनगाथा लिख रहा
खोद रहा गड़े मर्दों को
कुरेद रहा भरे जख्म़ो को
निर्माता- निर्देशक फिल्म के दृश्यों में
बोल्ड दृश्य बना नंग्नता दिखा
तो कभी इतिहास से छेड़छाड़
तो कभी अभद्र शब्दों से
कभी नये क्रांतिक परिवर्तन करके
विवाद पर माहौल गर्म़ करते
तो कभी लेखक कहानी व
उपन्यास लिख तो
कभी कवि व कवयित्री कविता कर
विवादों को जन्म देतें!
वास्तव में विवाद होते नहीं
विवाद पैदा किए जाते है
जैसे बेटी पैदा नहीं होती
बनाई जाती है!
ज्यादा शेलिंग हो
सुपरहिट हो जाए
रातों रात प्रसिद्धी मिले
और स्टार बन जाए!
क्योंकि जो बिकता है
वही चलता है
और दुनिया चमकते सूरज को
सलाम करती ठूबते को नहीं!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
२८/११/१७
Tuesday 28 November 2017
"विवाद"
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