Thursday 16 November 2017

"तुम भूली हुई वो बात हो"


तुम भूली हुई वो बात हो
तुम भूला हुई वो रात हो
तुम भूला हुआ वो गीत हो
जो कभी कभी मुझे याद आता है
और मेरे दिल को दर्द दे जाता है
तुम टूटा हुआ वो तारा हो
जिसको मैंने खुदा से माँगा था
तुम भूला हुआ वो ख्वाब हो
जो मैंने कभी खुली आँखों से देखा था
तुम भूली हुई वो बात हो
तुम भूली हुई वो रात हो!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
१७/११/१७

No comments:

Post a Comment