Wednesday 15 November 2017

"फूलों से तेरे लिए मैं रंग बनाऊँ"

"फूलों से तेरे लिए मैं रंग बनाऊँ"
प्लास के फूलों से केसरिया रंग बनाऊँ
अपने हाथों से तेरे रूप सवाँरू
गुलाब के फूलों से मैं इत्र बनाऊँ
तुझे लगा कर सुगंधित कर दूँ
चमेली के फूलों से मैं तेल बनाऊँ
तेरे धुधँराले बालों पे लगाउँ
अमलतास के फूलों से पीला रंग बनाऊँ
तेरे अंगवस्त्रों पर लगा शगुन करूँ
रजनीगंधा के फूलों से मैं माला बनाऊँ
तेरे गले में वरमाला पहनाउँ
गेंदा के फूलों से मैं मरम बनाऊँ
तेरे जख्मों पर लगाऊँ
हिना को धिस कर हरा रंग बनाऊँ
तेरे जीवन को हराभरा कर दूँ
चंदन से मैं लाल रंग बनाऊँ
तेरे माथे पर टीका करूँ
गुड़हल के फूलों से लाल गुलाल बनाऊँ
तुझे काला से लाल लाल कर दूँ
केसर के फूलों से केसर बनाऊँ
तेरे जीवन में प्रेम रस धोलूँ
रातरानी के फूलों से मैं बिस्तर बिछाऊँ
तेरे रातों को महकाऊँ
गुलमोहर के फूलों से मैं
मकरंद बनाऊँ तेरे मन को लुभाऊँ
आ मेरे कान्हा इन फूलों के संग
जीवन के सुख-दुख की सेज सजाऊँ!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
16/11/17

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