"चार्जर"
चार्जर हो ना तुम
मेरे दिल को चार्च कर दो ना
इसकी बेट्ररी लौ हो गई
बार बार टूट कर
ना हुई फिर से
चार्ज तो बैठ जाएगी
मोबाईल जैसा मेरा शरीर
बेकार हो जाएगा
ना मिट्टी का कफ़न!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
१३/११/१७
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