Tuesday 21 November 2017

"केवल शब्द नहीं है ये"

केवल शब्द नहीं है ये
कलम जो लिखती है
वो केवल शब्द थोड़े ही है
ये मेरे लफ्ज़ है!
जो तुम से ना कह सके
उन्हीं को पिरो देती हूँ
कागज पर अक्षर बनाकर!
जब कभी तुम पढ़ो इनको
मेरे दर्द को तुम समझो
कितने आँसू बहाये होगें
मैंने तेरे प्यार में...!
उन्हीं आँसूओ को मैंने
स्याही बना दिया
कभी ना मिटने के वाली
मोहब्ब़त की याद में!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
21/11/17

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