Saturday 11 November 2017

"सेल्फिमेनिया"

"सेल्फीमेनिया" मेरे पासभी होनी चाहिए मेरी मस्तटाईप वाली सेल्फी मैं भी अपनी एक सेल्फी लूँगी कभी बूडी के साथ तो कभी फेमली के साथ तो कभी डार्लिग के साथ! कभी पेड़ों की डाली पर तो कभी पहाड़ों के शिखर पर कभी रेल की पटरी पर तो कभी नदी किनारों पर कभी समुद्र की लहरों के बीच तो उँची मिनार पर चढ़ कर कभी मंदिर में भगवान के साथ साथ! पर हमारी लापरवाहियों से ही "सेल्फीडेथ" की घटना बढ़ जाती है जिससे हमारे परिवारवालों व दोस्तों के साथ प्रशासन व समान्य जन को भी दु:ख व परेशानी सदा देती! सेल्फी लेना कहीं ना कहीं आत्म पूजा की निशानी भी है मरीज़ों को बार सोशल मिडिया पर फोटो डालने का आदत सी पड़ जाती है जो सेल्फीसाइड नामक मांनसिक बिमारी का लक्षण बन जाती वो बार सेल्फी पे सेल्फी लेने की लत लग जाती जब तक सेल्फी की पोज पसंद ना आती नपसंद कर वो डिलिटेड करती रहती और नयी लेल्फी लेता ही रहती बाद धीरे धीरे कोहनी के दर्द का सिर ले लेती जो बिना चिकित्सा के उपचार संभव ना हो पाती! प्रधानमंत्री की ओर से फादर डे पर "सेल्फी विद डॉटर"अभियान चला पर ये पहल शहरी स्मार्ट फोन रखने वालों के लिए ही थी पर भारत की आधी अबादी तो गाँव में ही बसती है ये सेल्फी अभियान महिला उत्पीड़न व छेड़छाड व दहेज जैसे समस्या दूर नहीं कर सकती है सेल्फी फैंसन की होड़ पर बेन मंदिरों व संस्कतिक स्मारक में लगाई जा रही सेल्फी लेने को जूनून ना बनाओ युवाओं अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाओ! कुमारी अर्चना पूर्णियाँ,बिहार मौलिक रचना १२/११/१७

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