Monday 20 November 2017

"मेरी अहमियत"

मैं हूँ मेरे अस्तित्व में
किसी और के अस्तित्व में नहीं
यही मेरी अहमियत है!
मैं अन्य मानव,पेड़- पौधे व
जीव-जन्तुओं की भाँति
स्वंय साँसो लेता हूँ
यही मेरी अहमित है!
मैं अपने उत्तरजीविता के लिए
नित्य जीवन संधर्ष करता हूँ
यही मेरी अहमियत है!
मैं अपने कर्मों से
अपना भाग्य बदलता हूँ
और अपने किये कर्मों का
फल पाता हूँ दुसरों के कर्मों का नहीं
यही मेरी अहमियत है!
कुमारी अर्चना
पूर्णायाँ,बिहार
मौलिक रचना
20/11/17

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